अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया. उच्चतम न्यायालय ने 1967 के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि चूंकि एएमयू केंद्रीय विश्वविद्यालय है इसलिए इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता. न्यायालय के बहुमत वाले फैसले में कहा गया है कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित मानदंडों के आधार पर फैसला किया जाना चाहिए. उच्चतम न्यायालय के बहुमत के फैसले में एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देने के लिए मानदंड तय किए गए.
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि 2006 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले की वैधता पर निर्णय लेने के लिए नई पीठ के गठन के वास्ते मामले के कागजात प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखे जाएं. जनवरी 2006 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 1981 के कानून के उस प्रावधान को रद्द कर दिया था जिसके तहत एएमयू को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया था.
उच्चतम न्यायालय की सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले में शुक्रवार को चार अलग-अलग फैसले सुनाए. संविधान पीठ की अगुआई कर रहे भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस संबंध में चार अलग-अलग मत थे जिनमें तीन असहमति वाले फैसले भी शामिल हैं.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने अपने और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के लिए बहुमत का फैसला लिखा है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने अलग-अलग असहमति वाले फैसले लिखे हैं.
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